भारतीय शेयर बाज़ार में निवेश या ट्रेडिंग (खरीद-बिक्री) की दुनिया में कदम रखने के लिए दो खातों का होना अनिवार्य है: डिमैट अकाउंट (Demat Account) और ट्रेडिंग अकाउंट (Trading Account)। अक्सर नए निवेशक इन दोनों के बीच के अंतर और उनकी कार्यप्रणाली को लेकर भ्रमित रहते हैं। क्या ये दोनों एक ही हैं? क्या एक के बिना दूसरा चल सकता है? इस लेख में, हम इन सभी सवालों के जवाब सरल भाषा में, उदाहरणों के साथ जानेंगे और समझेंगे कि ये दोनों खाते कैसे काम करते हैं और शेयर बाज़ार में आपकी यात्रा के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं।
Table of Contents
Toggleडिमैट अकाउंट (Demat Account) क्या है? – आपका डिजिटल तिजोरी
Demat Account का पूरा नाम डीमैटीरियलाइज्ड अकाउंट (Dematerialized Account) है। ‘डीमैटीरियलाइज्ड’ का मतलब है physical form को Digital Form में बदलना। पुराने ज़माने में, जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते थे, तो आपको कागज़ के सर्टिफिकेट मिलते थे, जिन्हें संभाल कर रखना पड़ता था। यह प्रक्रिया जटिल, असुरक्षित थी और इसमें काफी कागज़ी कार्यवाही होती थी।
डिमैट अकाउंट इसी समस्या का समाधान है। यह एक इलेक्ट्रॉनिक खाता है, जो बिल्कुल आपके बैंक अकाउंट की तरह काम करता है, लेकिन पैसे की जगह यह आपके शेयर्स, बॉन्ड्स, सरकारी सिक्योरिटीज, म्यूचुअल फंड यूनिट्स (खासकर ETFs), और अन्य निवेशों को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखता है।
सोचिए: जैसे आप अपना पैसा बैंक अकाउंट में रखते हैं, वैसे ही आप अपने खरीदे हुए शेयर्स और अन्य सिक्योरिटीज डिमैट अकाउंट में रखते हैं।
यह कैसे काम करता है?
भारत में दो मुख्य डिपॉजिटरी हैं – NSDL (National Securities Depository Limited) और CDSL (Central Depository Services Limited) – जो इन डिजिटल सिक्योरिटीज का रिकॉर्ड रखती हैं। आपका डिमैट अकाउंट इन डिपॉजिटरीज़ के साथ एक डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) के माध्यम से खोला जाता है। DP आमतौर पर आपका स्टॉक ब्रोकर (जैसे Zerodha, Upstox, ICICI Direct, HDFC Securities) या बैंक होता है।

डिमैट अकाउंट के मुख्य कार्य:
- सिक्योरिटीज को सुरक्षित रखना (Safekeeping of Securities) : जब आप शेयर खरीदते हैं, तो वे भौतिक रूप में न आकर सीधे आपके डिमैट अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक रूप में जमा (क्रेडिट) हो जाते हैं।
- उदाहरण: आपने रिलायंस इंडस्ट्रीज के 10 शेयर खरीदे। T+1 दिन (ट्रेडिंग दिन + 1 दिन) पर ये 10 शेयर आपके डिमैट अकाउंट में दिखने लगेंगे।
- निवेशों का एकत्रीकरण (Aggregation of Investments): आपके सभी अलग-अलग कंपनियों के शेयर्स, बॉन्ड्स, ETFs आदि एक ही जगह पर डिजिटल रूप में दिखते हैं, जिससे उन्हें ट्रैक करना आसान हो जाता है।
- सिक्योरिटीज का ट्रांसफर (Transfer of Securities):
- ऑन-मार्केट ट्रांसफर: जब आप शेयर बेचते हैं, तो वे आपके डिमैट अकाउंट से डेबिट हो जाते हैं।
- ऑफ-मार्केट ट्रांसफर: आप बिना स्टॉक एक्सचेंज के भी किसी अन्य व्यक्ति के डिमैट अकाउंट में शेयर ट्रांसफर कर सकते हैं (जैसे तोहफे में देना या विरासत में मिलना)। इसके लिए आपको DIS (Delivery Instruction Slip) भरना होता है।
- डीमैटीरियलाइजेशन और रीमैटीरियलाइजेशन (Dematerialisation and Rematerialisation): अगर आपके पास अभी भी पुराने भौतिक शेयर सर्टिफिकेट हैं, तो आप उन्हें डिमैट अकाउंट के जरिए डिजिटल रूप में बदलवा सकते हैं (डीमैटीरियलाइजेशन)। इसी तरह, डिजिटल शेयर्स को वापस भौतिक सर्टिफिकेट में भी बदला जा सकता है (रीमैटीरियलाइजेशन), हालांकि अब इसकी ज़रूरत बहुत कम पड़ती है।
- लोन के लिए कोलैटरल (Collateral for loan): आप अपने डिमैट अकाउंट में रखे शेयर्स या सिक्योरिटीज को गिरवी रखकर लोन भी ले सकते हैं।
ट्रेडिंग अकाउंट (Trading Account) क्या है? – आपका बाज़ार में प्रवेश द्वार
Trading Account वह खाता है जो आपको स्टॉक एक्सचेंज (जैसे BSE – बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और NSE – नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) पर सूचीबद्ध शेयर्स और अन्य सिक्योरिटीज को खरीदने और बेचने की अनुमति देता है। यह आपके बैंक अकाउंट और डिमैट अकाउंट के बीच एक पुल का काम करता है।
सोचिए: अगर शेयर बाज़ार एक विशाल शॉपिंग मॉल है, तो ट्रेडिंग अकाउंट आपका शॉपिंग कार्ट और पेमेंट गेटवे है, जिसके ज़रिए आप मॉल (एक्सचेंज) से सामान (शेयर्स) खरीद या बेच सकते हैं।
यह कैसे काम करता है?
आपका ट्रेडिंग अकाउंट आपके स्टॉक ब्रोकर द्वारा प्रदान किया जाता है। जब आप कोई शेयर खरीदना या बेचना चाहते हैं, तो आप अपने ब्रोकर के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (मोबाइल ऐप या वेबसाइट) का उपयोग करके ऑर्डर देते हैं। यह ऑर्डर ट्रेडिंग अकाउंट के माध्यम से स्टॉक एक्सचेंज तक पहुँचता है।
ट्रेडिंग अकाउंट के मुख्य कार्य:
- ऑर्डर प्लेसमेंट (खरीद/बिक्री) (Order Placement): शेयर बाज़ार में किसी भी सिक्योरिटी को खरीदने या बेचने का ऑर्डर इसी अकाउंट के जरिए दिया जाता है।
- उदाहरण: आप टाटा मोटर्स के 50 शेयर खरीदना चाहते हैं। आप अपने ट्रेडिंग ऐप में लॉगिन करेंगे, टाटा मोटर्स सर्च करेंगे, 50 क्वांटिटी डालेंगे और ‘Buy’ बटन दबाएंगे। यह ऑर्डर आपके ट्रेडिंग अकाउंट से एक्सचेंज को भेजा जाएगा।
- फंड्स मैनेजमेंट (Funds Management): शेयर खरीदने के लिए पैसे आपके लिंक किए गए बैंक अकाउंट से ट्रेडिंग अकाउंट में ट्रांसफर किए जाते हैं। शेयर बेचने पर पैसा पहले ट्रेडिंग अकाउंट में आता है, जिसे आप फिर अपने बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं।
- रियल-टाइम ट्रेडिंग (Real-time trading): आप लाइव मार्केट के दौरान कीमतों को देखकर तुरंत खरीद या बिक्री के ऑर्डर दे सकते हैं, जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग (एक ही दिन में खरीदकर बेचना) या F&O ट्रेडिंग।
- मार्केट एक्सेस (Market Access): यह आपको विभिन्न स्टॉक एक्सचेंजों (BSE, NSE) और सेगमेंट (इक्विटी, डेरिवेटिव्स) तक पहुँच प्रदान करता है।
- चार्जेस का हिसाब (calculation of charges): हर ट्रेड पर लगने वाले चार्जेस जैसे ब्रोकरेज, STT (Securities Transaction Tax), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, SEBI टर्नओवर फीस आदि आपके ट्रेडिंग अकाउंट से ही काटे जाते हैं।
- टर्नओवर फीस आदि आपके ट्रेडिंग अकाउंट से ही काटे जाते हैं।
डिमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट में मुख्य अंतर (Detailed Difference)
पैरामीटर | डिमैट अकाउंट (Demat Account) | ट्रेडिंग अकाउंट (Trading Account) |
मुख्य उद्देश्य | खरीदे गए शेयर्स और सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखना (स्टोर करना)। | स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर्स और सिक्योरिटीज की खरीद-बिक्री करना (ट्रांजैक्शन करना)। |
कार्यप्रणाली | यह एक भंडार (Repository) की तरह है, जहाँ आपकी संपत्ति जमा रहती है। | यह एक माध्यम (Interface/Platform) है जिससे आप बाज़ार में लेन-देन करते हैं। |
कनेक्शन | डिपॉजिटरी (NSDL/CDSL) से जुड़ा होता है, जहाँ सिक्योरिटीज का आधिकारिक रिकॉर्ड होता है। | स्टॉक एक्सचेंज (BSE/NSE) से जुड़ा होता है, जहाँ वास्तविक ट्रेड होते हैं। |
फंक्शन | होल्डिंग (सिक्योरिटीज रखना), ट्रांसफर, प्लेजिंग (गिरवी रखना)। | ट्रेडिंग (ऑर्डर देना), फंड्स का प्रबंधन, मार्जिन का उपयोग। |
आवश्यकता | लॉन्ग-टर्म निवेशकों के लिए अनिवार्य है जो शेयर्स खरीद कर रखना चाहते हैं। | एक्टिव ट्रेडर्स (इंट्राडे, स्विंग, F&O) के लिए अनिवार्य है। निवेशकों को खरीदने के लिए भी इसकी ज़रूरत होती है। |
फंड्स | इसमें पैसे नहीं रखे जा सकते, केवल सिक्योरिटीज रखी जाती हैं। | इसमें ट्रेडिंग के लिए फंड्स रखे जाते हैं, जो बैंक अकाउंट से लिंक होते हैं। |
चार्जेस | AMC (Annual Maintenance Charge) – सालाना रखरखाव शुल्क, डिपॉजिटरी फीस (DP चार्ज – बेचने पर)। | ब्रोकरेज (हर ट्रेड पर), STT, ट्रांजैक्शन चार्ज, SEBI फीस, आदि। |
उदाहरण (Analogy) | बैंक का लॉकर जहाँ आप कीमती सामान रखते हैं। | बैंक का काउंटर या नेट बैंकिंग जहाँ से आप पैसे निकालते या जमा करते हैं। |
डिमैट और ट्रेडिंग अकाउंट एक साथ कैसे काम करते हैं? (विस्तृत कार्यप्रवाह)
यह समझना महत्वपूर्ण है कि ये दोनों खाते मिलकर काम करते हैं। नीचे खरीदने और बेचने की प्रक्रिया का विस्तृत उदाहरण दिया गया है:
उदाहरण: जब आप शेयर खरीदते हैं (Buying Shares):
- निर्णय: आपने तय किया कि आपको इंफोसिस (Infosys) के 25 शेयर खरीदने हैं।
- फंड ट्रांसफर: आप अपने बैंक अकाउंट से अपने ट्रेडिंग अकाउंट में आवश्यक धनराशि (शेयरों की कीमत + अनुमानित चार्जेस) ट्रांसफर करते हैं।
- ऑर्डर प्लेसमेंट: आप अपने ब्रोकर के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (ऐप/वेबसाइट) पर लॉगिन करते हैं, इंफोसिस सर्च करते हैं, 25 क्वांटिटी और अपनी वांछित कीमत (या मार्केट कीमत) पर ‘Buy’ ऑर्डर अपने ट्रेडिंग अकाउंट के माध्यम से प्लेस करते हैं।
- ऑर्डर मैचिंग: आपका ऑर्डर स्टॉक एक्सचेंज (जैसे NSE) पर जाता है। एक्सचेंज पर, जब कोई सेलर आपके द्वारा दी गई कीमत पर 25 इंफोसिस शेयर बेचने के लिए तैयार होता है, तो आपका ऑर्डर मैच हो जाता है और ट्रेड Execute हो जाता है।
- फंड डेबिट: ट्रेड कन्फर्म होने पर, शेयरों की कीमत और लागू चार्जेस आपके ट्रेडिंग अकाउंट से डेबिट हो जाते हैं।
- सेटलमेंट और शेयर क्रेडिट: T+1 दिन (ट्रेडिंग दिन + 1 कार्य दिवस) पर, एक्सचेंज क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के माध्यम से सेटलमेंट प्रक्रिया पूरी करता है। बेचने वाले के डिमैट अकाउंट से 25 इंफोसिस शेयर निकलकर आपके डिमैट अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक रूप से क्रेडिट (जमा) हो जाते हैं। अब आप अपने डिमैट होल्डिंग्स में ये 25 शेयर देख सकते हैं।
उदाहरण: जब आप शेयर बेचते हैं (Selling Shares):
- निर्णय: आपने तय किया कि आपको अपने डिमैट अकाउंट में रखे इंफोसिस के 10 शेयर बेचने हैं।
- ऑर्डर प्लेसमेंट: आप अपने ट्रेडिंग अकाउंट में लॉगिन करते हैं और इंफोसिस के 10 शेयर बेचने का ‘Sell’ ऑर्डर प्लेस करते हैं।
- होल्डिंग कन्फर्मेशन: ब्रोकर सिस्टम आपके लिंक्ड डिमैट अकाउंट को चेक करके यह सुनिश्चित करता है कि आपके पास बेचने के लिए पर्याप्त (कम से कम 10) इंफोसिस शेयर हैं। (इसके लिए आपको TPIN या eDIS ऑथराइजेशन देना पड़ सकता है)।
- ऑर्डर मैचिंग: आपका सेल ऑर्डर स्टॉक एक्सचेंज पर जाता है और किसी खरीदार के ऑर्डर से मैच होने पर ट्रेड Execute हो जाता है।
- शेयर डेबिट: T+1 दिन पर, आपके डिमैट अकाउंट से 10 इंफोसिस शेयर डेबिट (निकल) हो जाते हैं और खरीदार के डिमैट अकाउंट में चले जाते हैं।
- फंड क्रेडिट: शेयर बेचने से प्राप्त राशि (ब्रोकरेज और अन्य चार्जेस काटकर) आपके ट्रेडिंग अकाउंट में क्रेडिट हो जाती है। आप इस पैसे को फिर अपने लिंक्ड बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं।
क्या डिमैट अकाउंट के बिना ट्रेडिंग अकाउंट चल सकता है?
आमतौर पर, नहीं। खासकर जब आप इक्विटी (शेयर्स) में ट्रेडिंग कर रहे हैं:
- इक्विटी डिलीवरी ट्रेडिंग: जब आप शेयर खरीदकर उन्हें कुछ दिनों, हफ़्तों या सालों तक रखना चाहते हैं (डिलीवरी लेना), तो उन शेयर्स को रखने के लिए डिमैट अकाउंट अनिवार्य है। खरीदे गए शेयर T+1 दिन पर आपके डिमैट अकाउंट में ही आते हैं।
- इक्विटी इंट्राडे ट्रेडिंग: भले ही इंट्राडे ट्रेडिंग में आप उसी दिन शेयर खरीदकर बेच देते हैं और तकनीकी रूप से शेयर आपके डिमैट अकाउंट में नहीं आते, फिर भी SEBI (Securities and Exchange Board of India) के नियमों के अनुसार, इक्विटी ट्रेडिंग के लिए ट्रेडिंग अकाउंट के साथ लिंक किया हुआ डिमैट अकाउंट होना अनिवार्य है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर किसी कारणवश आप अपनी इंट्राडे पोजीशन को समय पर स्क्वायर ऑफ (बेच/खरीद) नहीं कर पाते, तो वह डिलीवरी में बदल सकती है, जिसके लिए डिमैट अकाउंट ज़रूरी है।
- अपवाद: कुछ सेगमेंट जैसे करेंसी डेरिवेटिव्स या कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग के लिए आपको डिमैट अकाउंट की आवश्यकता शायद न हो (यह ब्रोकर और नियमों पर निर्भर करता है), क्योंकि इनमें अंडरलाइंग एसेट की फिजिकल डिलीवरी आमतौर पर नहीं होती है। लेकिन इक्विटी मार्केट (Cash, F&O) में ट्रेडिंग के लिए, आपको अनिवार्य रूप से दोनों खातों की आवश्यकता होगी।
कौन सा अकाउंट किसके लिए ज़्यादा ज़रूरी है?
यूजर का प्रकार | डिमैट अकाउंट की ज़रूरत? | ट्रेडिंग अकाउंट की ज़रूरत? | मुख्य फोकस |
लॉन्ग-टर्म निवेशक (Buy & Hold) | हाँ (अनिवार्य) | हाँ (खरीदने के लिए) | शेयर्स को लंबे समय तक डिमैट में होल्ड करना। ट्रेडिंग अकाउंट सिर्फ शुरुआती खरीद के लिए ज़रूरी है। |
एक्टिव ट्रेडर (Intraday, Swing, F&O) | हाँ (अनिवार्य) | हाँ (अनिवार्य) | ट्रेडिंग अकाउंट का频繁 इस्तेमाल करके बाज़ार में लगातार खरीदना-बेचना। स्विंग ट्रेड्स के लिए डिमैट में होल्डिंग। |
म्यूचुअल फंड निवेशक (Non-ETF) | नहीं (ज़रूरी नहीं) | नहीं | MF यूनिट्स सीधे AMC या RTA (CAMS/KFintech) के पास स्टेटमेंट ऑफ़ अकाउंट (SoA) के रूप में रहती हैं। |
ETF निवेशक (Exchange Traded Funds) | हाँ (अनिवार्य) | हाँ (अनिवार्य) | ETFs शेयर्स की तरह एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं, इसलिए उन्हें खरीदने/बेचने के लिए ट्रेडिंग और रखने के लिए डिमैट ज़रूरी है। |
डिमैट और ट्रेडिंग अकाउंट कैसे खोलें?
आजकल यह प्रक्रिया काफी सरल और ज़्यादातर ऑनलाइन हो गई है:
- ब्रोकर या DP चुनें: एक विश्वसनीय स्टॉक ब्रोकर या बैंक चुनें जो डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) के रूप में रजिस्टर्ड हो (जैसे Zerodha, Upstox, Angel One, ICICI Direct, HDFC Securities आदि)। अधिकतर ब्रोकर 2-इन-1 अकाउंट (Trading + Demat) खोलने की सुविधा देते हैं।
- ऑनलाइन आवेदन करें: ब्रोकर की वेबसाइट या ऐप पर जाएं और अकाउंट खोलने का फॉर्म भरें।
- KYC डॉक्यूमेंट्स अपलोड करें: आपको अपनी पहचान और पते के प्रमाण के लिए दस्तावेज़ जमा करने होंगे:
- PAN कार्ड (अनिवार्य)
- आधार कार्ड (पते के प्रमाण और eSign के लिए)
- कैंसल्ड चेक या बैंक स्टेटमेंट (बैंक अकाउंट लिंक करने के लिए)
- आपकी फोटो और हस्ताक्षर की स्कैन कॉपी
- आय का प्रमाण (Income Proof) – यदि आप फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) सेगमेंट में ट्रेड करना चाहते हैं।
- वेरिफिकेशन पूरा करें: ब्रोकर आपकी जानकारी और दस्तावेज़ों को वेरिफाई करेगा। इसमें इन-पर्सन वेरिफिकेशन (IPV) या आजकल ज़्यादातर ऑनलाइन वीडियो KYC शामिल हो सकता है, जहाँ आपको वीडियो कॉल पर अपने दस्तावेज़ दिखाने होते हैं। आधार लिंक्ड मोबाइल नंबर पर OTP के माध्यम से eSign प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
- अकाउंट एक्टिवेशन: वेरिफिकेशन पूरा होने के बाद, आपका डिमैट और ट्रेडिंग अकाउंट आमतौर पर 24 से 72 घंटों के भीतर एक्टिवेट हो जाता है। आपको लॉगिन क्रेडेंशियल्स (यूजर आईडी, पासवर्ड) मिल जाएंगे।
निष्कर्ष
संक्षेप में:
- डिमैट अकाउंट: आपके डिजिटल शेयर्स और सिक्योरिटीज का सुरक्षित भंडार या लॉकर है।
- ट्रेडिंग अकाउंट: शेयर बाज़ार में खरीद-बिक्री करने का आपका गेटवे या टूल है।
ये दोनों खाते अलग-अलग उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं लेकिन शेयर बाज़ार में प्रभावी ढंग से भाग लेने के लिए, खासकर इक्विटी सेगमेंट में, दोनों का एक साथ होना अनिवार्य है। वे एक-दूसरे के पूरक हैं और मिलकर काम करते हैं ताकि आप आसानी से निवेश और ट्रेडिंग कर सकें।
यदि आप केवल लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो आपका मुख्य ध्यान डिमैट अकाउंट पर होगा जहाँ आपकी संपत्ति सुरक्षित रहेगी। लेकिन अगर आप सक्रिय रूप से ट्रेडिंग करना चाहते हैं, तो ट्रेडिंग अकाउंट आपकी प्राथमिक आवश्यकता होगी, हालाँकि होल्डिंग्स रखने के लिए डिमैट तब भी ज़रूरी है।
FAQs : अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1. क्या मैं बिना ट्रेडिंग अकाउंट के डिमैट अकाउंट से शेयर ट्रांसफर कर सकता हूँ?
- उत्तर: हाँ, आप ऑफ-मार्केट ट्रांसफर के जरिए एक डिमैट अकाउंट से दूसरे डिमैट अकाउंट में शेयर ट्रांसफर कर सकते हैं (जैसे किसी रिश्तेदार को गिफ्ट देना)। इसके लिए आपको अपने DP को डिलीवरी इंस्ट्रक्शन स्लिप (DIS) देनी होगी। लेकिन स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर बेचने के लिए आपको ट्रेडिंग अकाउंट की आवश्यकता होगी।
Q2. क्या एक ही ब्रोकर के पास डिमैट और ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है?
- उत्तर: ज़रूरी नहीं है, आप चाहें तो ट्रेडिंग अकाउंट एक ब्रोकर (मान लीजिए ब्रोकर A) के पास और डिमैट अकाउंट दूसरे DP (मान लीजिए ब्रोकर B) के पास रख सकते हैं। लेकिन इस व्यवस्था में समन्वय करना जटिल हो सकता है। व्यवहार में, अधिकांश लोग सुविधा के लिए एक ही ब्रोकर के पास 2-इन-1 (ट्रेडिंग + डिमैट) अकाउंट खोलते हैं, जिससे प्रक्रिया सुगम रहती है।
Q3. क्या डिमैट अकाउंट में पैसे जमा किए जा सकते हैं?
उत्तर: नहीं, डिमैट अकाउंट केवल सिक्योरिटीज (शेयर्स, बॉन्ड्स, ETFs आदि) को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखने के लिए होता है। पैसे का लेन-देन आपके बैंक अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट के बीच होता है। शेयर खरीदने के लिए पैसा ट्रेडिंग अकाउंट में डालते हैं, और बेचने पर पैसा ट्रेडिंग अकाउंट में आता है, जिसे फिर बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किया जाता है।
Q4. क्या डिमैट अकाउंट पर कोई टैक्स लगता है?
- उत्तर: डिमैट अकाउंट रखने पर सीधे कोई टैक्स नहीं लगता है। हाँ, आपको सालाना AMC (Annual Maintenance Charge) देना पड़ सकता है। टैक्स तब लगता है जब आप अपने डिमैट अकाउंट से शेयर बेचकर मुनाफा (Capital Gain) कमाते हैं। यह मुनाफा शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) या लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) हो सकता है, जिस पर लागू टैक्स नियमों के अनुसार आपको टैक्स देना होता है।
Q5. क्या एक व्यक्ति के कई डिमैट अकाउंट हो सकते हैं?
- उत्तर: हाँ, एक व्यक्ति अलग-अलग डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स (ब्रोकर्स/बैंक) के साथ कई डिमैट अकाउंट खोल सकता है। हालाँकि, सभी डिमैट अकाउंट आपके PAN कार्ड से लिंक्ड होते हैं। ध्यान रखें कि हर डिमैट अकाउंट पर आपको AMC देना पड़ सकता है, इसलिए बिना वजह कई अकाउंट खोलना महंगा साबित हो सकता है।
Q6. DP चार्जेस क्या होते हैं?
- उत्तर: जब आप अपने डिमैट अकाउंट से शेयर बेचते हैं (या ऑफ-मार्केट ट्रांसफर करते हैं), तो आपका डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP/ब्रोकर) इस डेबिट ट्रांजैक्शन के लिए एक शुल्क लेता है, जिसे DP चार्ज कहा जाता है। यह चार्ज आमतौर पर प्रति स्क्रिप (कंपनी) प्रति दिन लगता है, चाहे आप उस कंपनी के कितने भी शेयर बेचें। यह ब्रोकरेज के अतिरिक्त होता है।