सोने (Gold) में निवेश करने का शौक तो हम भारतीयों के खून में है, पीढ़ियों से चला आ रहा है ये सिलसिला। पहले दादी-नानी संदूकों में रखती थीं, फिर मम्मी-पापा ने लॉकर में रखना शुरू किया, और अब जब जमाना पूरी तरह डिजिटल हो गया है, तो सोना भला पीछे कैसे रहता? आ गया है “डिजिटल गोल्ड“! लेकिन जैसे ही ये नाम कान में पड़ता है, दिमाग में सवालों की झड़ी लग जाती है: “ये असली सोना है भी या कोई हवा-हवाई बात?”, “रखेंगे कहाँ, दिखेगा कैसे?”, “कितना सुरक्षित है ये ऑनलाइन सोना?”, “फायदे हैं तो क्या नुकसान भी हैं?”
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Toggleचिंता की कोई बात नहीं! मैं हूँ ना! आपको डिजिटल गोल्ड में अपनी मेहनत की कमाई लगाने से पहले वो 5 सबसे जरूरी बातें एकदम सरल और सीधे-सादे ढंग से समझाऊंगा, जैसे कोई बड़ा भाई छोटे भाई को समझाता है। ये कोई रॉकेट साइंस नहीं है, बस थोड़ी सी समझदारी और ध्यान देने की बात है। तो कमर कस लीजिए, हम डिजिटल सोने की दुनिया में गोता लगाने वाले हैं! चलिए, शुरू करते हैं:
1. यह “डिजिटल गोल्ड” आखिर है क्या बला? (कहीं कोई ऑनलाइन झांसा तो नहीं!)
पहले बेसिक्स समझें, फिर घबराहट को कहें बाय-बाय!
डिजिटल गोल्ड का सीधा सा मतलब है असली, शुद्ध सोना, बस फर्क इतना है कि ये आपके हाथ में किसी गहने या सिक्के के रूप में नहीं होगा, न ही किसी बैंक लॉकर में। ये होगा आपके ऑनलाइन खाते में, बिल्कुल वैसे ही जैसे आपके बैंक अकाउंट में पैसे होते हैं या डीमैट अकाउंट में शेयर्स।
सोचिए कैसे:
- आप अपने मोबाइल में मौजूद Paytm, Google Pay, PhonePe जैसे UPI ऐप्स या फिर Groww, Upstox, Zerodha Coin जैसे इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म्स पर बस कुछ क्लिक करके ₹10, ₹100 या अपनी इच्छानुसार कितनी भी छोटी रकम का सोना खरीद सकते हैं। जी हाँ, 1 ग्राम का छोटा सा टुकड़ा खरीदने के लिए हजारों रुपये इकट्ठे करने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा! (उदाहरण के लिए: अगर 1 ग्राम सोने का भाव ₹7,000 चल रहा है (यह एक सांकेतिक मूल्य है और बाजार के उतार-चढ़ाव के अनुसार बदल सकता है), तो आप ₹100 में लगभग 0.014 ग्राम सोना खरीद सकते हैं!)
- आपका खरीदा हुआ हर कण सोना अत्यधिक सुरक्षित वॉल्ट (Safety Vaults) में रखा जाता है। ये वॉल्ट MMTC-PAMP (जो भारत सरकार और स्विट्जरलैंड की PAMP SA का जॉइंट वेंचर है) या Augmont Gold जैसी प्रतिष्ठित, सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त (BIS Certified) कंपनियों के होते हैं। इन कंपनियों की निगरानी एक स्वतंत्र ट्रस्टी भी करता है ताकि आपका सोना पूरी तरह सुरक्षित रहे।
- खरीदारी के तुरंत बाद आपको एक डिजिटल रसीद या सर्टिफिकेट मिलता है। यह इस बात का पक्का सबूत होता है कि इतने ग्राम सोना फलां सुरक्षित वॉल्ट में आपके नाम पर जमा है। आप इसे कभी भी अपने ऐप में देख सकते हैं।
एक बात गाँठ बाँध लें:
यह कोई क्रिप्टोकरेंसी (जैसे बिटकॉइन या इथेरियम) या कोई काल्पनिक निवेश नहीं है! आपके खरीदे हुए हर डिजिटल गोल्ड के पीछे उतना ही असली, भौतिक सोना सुरक्षित रखा होता है। लेकिन हाँ, बाज़ार में हर अच्छी चीज़ के साथ कुछ धोखेबाज़ भी आ जाते हैं। इसलिए… महा स्कैम अलर्ट! हमेशा केवल जाने-माने और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) जैसे नियामकों द्वारा रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म्स (जैसे कि बड़े और विश्वसनीय UPI ऐप्स या SEBI-रजिस्टर्ड ब्रोकर्स/वितरक) का ही इस्तेमाल करें। किसी भी अनजान ऐप या वेबसाइट के सस्ते सोने के लालच में कतई न पड़ें, वरना “डिजिटल” तो दूर, “असली” भी हाथ नहीं लगेगा! हमेशा प्लेटफॉर्म की रेटिंग्स, रिव्यू और उसकी क्रेडिबिलिटी जरूर जांच लें।
2. खरीदते समय लगने वाले छुपे हुए खर्चे (मेकिंग चार्ज और GST का पूरा सच)
जेब पर कुल कितना असर पड़ेगा? समझिए पूरा गणित!
जब हम बाज़ार से सोने के गहने खरीदते हैं, तो ज्वैलर सोने के भाव के ऊपर मेकिंग चार्ज (गहना बनाने की मजदूरी), वेस्टेज चार्ज और फिर GST लगाते हैं, जिससे कीमत काफी बढ़ जाती है। डिजिटल गोल्ड में गहना तो होता नहीं, तो मेकिंग चार्ज का सवाल ही नहीं उठता (खरीदते समय)। लेकिन कुछ खर्चे यहाँ भी हैं:
- GST का झटका (जो अब आम है): फिजिकल गोल्ड की तरह ही, डिजिटल गोल्ड खरीदने पर भी आपको 3% GST (Goods and Services Tax) देना होता है। यह सोने की खरीद मूल्य पर लगता है। तो अगर 1 ग्राम सोने का भाव ₹7,000 है, तो 3% GST यानी ₹210 और जुड़ जाएगा। इस तरह आपको 1 ग्राम के लिए ₹7,210 चुकाने होंगे। (यह नियम 2025 में भी वैसे का वैसा ही लागू है!)
- स्टोरेज फीस (कभी-कभी): ज़्यादातर प्लेटफॉर्म्स शुरुआती कुछ सालों (जैसे 3 से 5 साल) के लिए कोई स्टोरेज फीस नहीं लेते क्योंकि आपका सोना उनके सुरक्षित वॉल्ट में रखा होता है। लेकिन, कुछ प्लेटफॉर्म एक निश्चित अवधि के बाद बहुत मामूली सी सालाना स्टोरेज फीस ले सकते हैं। इसलिए, निवेश करने से पहले उस प्लेटफॉर्म के नियम और शर्तें (Terms & Conditions) ध्यान से पढ़ लें।
- लेन-देन शुल्क/कमीशन (बहुत कम या शून्य): कुछ प्लेटफॉर्म सोना खरीदने या बेचने पर एक छोटा सा शुल्क या स्प्रेड (खरीद और बिक्री मूल्य में अंतर) रख सकते हैं, हालांकि कई लोकप्रिय प्लेटफॉर्म्स पर यह लगभग न के बराबर होता है।
- और हाँ, बेचते समय टैक्स को न भूलें: जब आप अपना डिजिटल गोल्ड बेचकर मुनाफा कमाएंगे, तो उस मुनाफे पर आपको पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax – CGT) भी देना पड़ सकता है। इसकी पूरी कहानी पॉइंट नंबर 4 में है।
चलिए एक उदाहरण से कैलकुलेशन को समझते हैं:
- मान लीजिए, सोने का मौजूदा बाजार भाव (Live Price) = ₹70,000 प्रति 10 ग्राम (यानी ₹7,000 प्रति ग्राम)
- आप निवेश करना चाहते हैं = ₹10,000 का डिजिटल सोना
- इस रकम में आपको सोना मिलेगा = ₹10,000 / ₹7,000 प्रति ग्राम ≈ 1.4285 ग्राम (यह सोना GST लगने से पहले की मात्रा है)
- अब इस पर GST लगेगा: ₹10,000 का 3% = ₹300
- तो आपको कुल भुगतान करना होगा = ₹10,000 (सोने का मूल्य) + ₹300 (GST) = ₹10,300
तो देखा आपने, ₹10,300 देकर आपको लगभग 1.4285 ग्राम डिजिटल सोना आपके ऑनलाइन खाते में मिल जाएगा।
3. पैसा कब और कैसे मिलेगा वापस? (तरलता और रिडेम्पशन के रास्ते)
कहीं मेरा पैसा फंस तो नहीं जाएगा? ये सवाल सबसे पहले आता है!
डिजिटल गोल्ड की सबसे बड़ी ताकतों में से एक है इसकी उच्च तरलता (High Liquidity), यानी इसे खरीदना और बेचना बहुत आसान और तेज है, बिल्कुल चुटकी बजाते ही!
- बेचना बच्चों का खेल: जब भी आपको पैसों की जरूरत हो या आपको लगे कि सोने का भाव अच्छा मिल रहा है (आमतौर पर सप्ताह के कारोबारी दिनों में सुबह से शाम तक, कुछ प्लेटफॉर्म 24×7 भी सुविधा दे सकते हैं), आप अपने मोबाइल ऐप में जाकर बस कुछ क्लिक्स में अपना डिजिटल सोना बेच सकते हैं। बेची गई रकम आमतौर पर 24 से 48 घंटों के अंदर आपके रजिस्टर्ड बैंक अकाउंट में या ऐप वॉलेट में जमा हो जाती है। कोई झंझट नहीं, किसी सुनार के पास जाने की जरूरत नहीं।
- क्या असली सोना घर ला सकते हैं? (फिजिकल डिलीवरी): जी हाँ, अगर आप चाहें कि आपका डिजिटल सोना अब असली, ठोस सोने (सिक्के या बिस्किट के रूप में) में बदलकर आपके हाथ में आ जाए, तो ज्यादातर प्लेटफॉर्म्स यह सुविधा भी देते हैं। इसे फिजिकल रिडेम्पशन या डिलीवरी कहते हैं। लेकिन यहाँ कुछ बातें ध्यान देने वाली हैं:
- न्यूनतम मात्रा (Minimum Weight): फिजिकल डिलीवरी के लिए आमतौर पर एक न्यूनतम मात्रा तय होती है, जैसे कम से कम 1 ग्राम, 5 ग्राम या 10 ग्राम सोना आपके खाते में होना चाहिए। यह प्लेटफॉर्म पर निर्भर करता है।
- डिलीवरी शुल्क (Delivery Charge): सोने को सुरक्षित रूप से आप तक पहुंचाने के लिए प्लेटफॉर्म आपसे एक डिलीवरी शुल्क लेगा, जो ₹200 से ₹700 या उससे भी ज्यादा हो सकता है, यह आपके पते और सोने की मात्रा पर निर्भर करेगा।
- और सबसे बड़ा पेंच – मेकिंग चार्ज (Making Charge): जब आप डिजिटल गोल्ड को फिजिकल सोने (जैसे सिक्के या बार) में बदलते हैं, तो उस पर मेकिंग चार्ज या ढलाई शुल्क लगता है। यह शुल्क सोने के मूल्य का 5% से लेकर 15% या उससे भी अधिक हो सकता है! यह इसलिए क्योंकि आपके डिजिटल होल्डिंग को एक खास आकार और शुद्धता के सिक्के या बार में ढाला जाता है। तो अगर आपको अंततः सोना फिजिकल रूप में ही चाहिए, तो यह डिजिटल गोल्ड का एक बड़ा नुकसान साबित हो सकता है, क्योंकि यह काफी महंगा पड़ सकता है।
एक उदाहरण से समझिए फिजिकल डिलीवरी का गणित:
मान लीजिए, आपने धीरे-धीरे करके 10 ग्राम डिजिटल सोना जमा कर लिया। कुछ समय बाद, सोने का भाव बढ़ गया और आपने सोचा कि 8 ग्राम सोना ऑनलाइन बेचकर मुनाफा कमा लेता हूँ। आपने ऐप में कुछ बटन दबाए और 8 ग्राम सोना बेच दिया, पैसा आपके अकाउंट में आ गया। अब बचे हुए 2 ग्राम सोने को आप यादगार के तौर पर फिजिकल सिक्के के रूप में अपने पास रखना चाहते हैं। तो आपको उस 2 ग्राम सोने के लिए:
- उस समय का मेकिंग चार्ज (मान लीजिए 10%) देना होगा।
- साथ में डिलीवरी चार्ज भी देना होगा। यह सब मिलाकर, वह 2 ग्राम का सिक्का आपको बाजार से सीधे खरीदने की तुलना में शायद थोड़ा महंगा पड़े।

4. टैक्स का चक्कर और सरकार का हिस्सा (कितना और कब कटेगा टैक्स?) – इसे समझना सबसे ज्यादा जरूरी!
मुनाफे पर टैक्स की पूरी कुंडली (वित्तीय वर्ष 2024-25 के नियमों के अनुसार, आकलन वर्ष 2025-26 के लिए)
यह हिस्सा थोड़ा सा टेक्निकल है, पर यकीन मानिए, इसे समझना आपके फायदे का सौदा है, वरना बाद में टैक्स नोटिस देखकर हैरानी हो सकती है। सोने (डिजिटल या फिजिकल) से होने वाले मुनाफे पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है। हाल के बजट (Union Budget) में सोने पर लगने वाले कैपिटल गेन्स टैक्स के नियमों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं, जिन्हें जानना बेहद जरूरी है:
- अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (Short Term Capital Gains – STCG):
- अगर आपने डिजिटल गोल्ड खरीदने की तारीख से 24 महीने (यानी 2 साल) के अंदर ही बेच दिया और आपको उससे मुनाफा हुआ, तो उस मुनाफे को STCG माना जाएगा।
- यह STCG आपकी कुल सालाना आय (Total Annual Income) में जुड़ जाएगा, और फिर आप जिस इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax Slab) में आते हैं (जैसे 5%, 10%, 15%, 20%, 25% या 30% + सरचार्ज, यदि लागू हो, नई या पुरानी टैक्स व्यवस्था के अनुसार), उसी हिसाब से आपको इस मुनाफे पर टैक्स देना होगा।
- उदाहरण: मान लीजिए आपकी सालाना आय ₹7 लाख है और आप 20% टैक्स स्लैब में आते हैं। आपने 1 साल में डिजिटल गोल्ड से ₹20,000 का मुनाफा कमाया। तो यह ₹20,000 आपकी आय में जुड़ जाएगा और इस पर 20% (और लागू सेस) के हिसाब से टैक्स लगेगा।
- दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (Long Term Capital Gains – LTCG):
- अगर आपने डिजिटल गोल्ड खरीदने की तारीख से 24 महीने (यानी 2 साल) या उससे ज्यादा समय तक अपने पास रखा और फिर बेचा, तो उससे होने वाले मुनाफे को LTCG माना जाएगा।
- सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव: सोने (और कुछ अन्य संपत्ति) पर LTCG के लिए अब 12.5% की दर से टैक्स लगेगा (इसके ऊपर लागू स्वास्थ्य और शिक्षा सेस अतिरिक्त होगा)।
- इंडेक्सेशन बेनिफिट खत्म: पहले सोने पर LTCG की गणना करते समय इंडेक्सेशन बेनिफिट (Indexation Benefit) मिलता था। इंडेक्सेशन का मतलब होता है कि महंगाई के असर को मुनाफे से घटाकर टैक्स की गणना की जाती थी, जिससे टैक्स कम बनता था। लेकिन, नवीनतम नियमों के अनुसार, सोने पर LTCG के लिए यह इंडेक्सेशन बेनिफिट हटा दिया गया है। इसका सीधा मतलब है कि अब आपके कुल मुनाफे पर सीधे 12.5% (प्लस सेस) की दर से टैक्स देना होगा, महंगाई का कोई समायोजन नहीं होगा। यह एक बहुत बड़ा बदलाव है जिसे निवेशकों को ध्यान में रखना चाहिए।
LTCG का एक उदाहरण (बिना इंडेक्सेशन के, नए नियम के अनुसार):
मान लीजिए:
- आपने 1 जून 2022 को 10 ग्राम डिजिटल सोना खरीदा = ₹5,00,000 में
- आपने इसे 1 दिसंबर 2025 को बेचा (यानी 24 महीने से ज्यादा समय बाद) = ₹7,00,000 में
- आपका कुल मुनाफा (Capital Gain) = बेचने का मूल्य – खरीदने का मूल्य
= ₹7,00,000 – ₹5,00,000 = ₹2,00,000 - अब इस पर LTCG टैक्स लगेगा = ₹2,00,000 का 12.5%
= ₹25,000 - इसके ऊपर स्वास्थ्य और शिक्षा सेस (मान लीजिए 4%) लगेगा = ₹25,000 का 4% = ₹1,000
- तो कुल LTCG टैक्स = ₹25,000 + ₹1,000 = ₹26,000
(पहले अगर इंडेक्सेशन मिलता, तो यह टैक्स काफी कम हो सकता था। उदाहरण के लिए, यदि इंडेक्स्ड कॉस्ट ₹5,50,000 होती, तो टैक्सेबल प्रॉफिट ₹1,50,000 होता और उस पर 20% (पुरानी दर) + सेस लगता। लेकिन अब यह विकल्प सोने के लिए उपलब्ध नहीं है।)
एक जरूरी सलाह:
टैक्स के नियम समय-समय पर बदल सकते हैं और आपकी व्यक्तिगत आय और अन्य निवेशों पर भी निर्भर करते हैं। इसलिए, कोई भी बड़ा निवेश करने या बेचने से पहले हमेशा एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) या वित्तीय सलाहकार (Financial Advisor) से सलाह जरूर लें। वे आपको आपकी स्थिति के अनुसार सही मार्गदर्शन दे पाएंगे।
5. डिजिटल गोल्ड में निवेश करें या न करें? (फायदे बनाम नुकसान का अंतिम विश्लेषण)
अब फैसला आपके हाथ में! सोच-समझकर कदम उठाएं।
डिजिटल गोल्ड के अपने फायदे हैं तो कुछ कमियां भी हैं। आइए, दोनों पहलुओं पर गौर करें ताकि आप सही फैसला ले सकें:
डिजिटल गोल्ड के शानदार फायदे (Pros):
- छोटी-छोटी किश्तों में निवेश (SIP की तरह सोना): ₹10, ₹100 या ₹500 जैसी छोटी-छोटी रकम से भी आप शुद्ध सोना खरीदना शुरू कर सकते हैं। यह उन लोगों के लिए बेहतरीन है जो एकमुश्त बड़ी रकम नहीं लगा सकते, जैसे स्टूडेंट्स या युवा प्रोफेशनल्स। इसे “गोल्ड SIP” भी कह सकते हैं।
- खरीदने-बेचने में बेजोड़ आसानी: अपने मोबाइल ऐप से, घर बैठे, दिन हो या रात (कुछ प्लेटफॉर्म्स पर 24×7, बाकियों पर बाजार समय में) सोना खरीद या बेच सकते हैं। भागदौड़ की कोई जरूरत नहीं।
- शुद्धता की 100% गारंटी: डिजिटल गोल्ड आमतौर पर 24 कैरेट (99.5% या 99.9% शुद्ध) होता है। इसमें मिलावट या कम शुद्धता की कोई चिंता नहीं होती, जो अक्सर गहने खरीदते समय रहती है।
- सुरक्षित भंडारण, चोरी का डर नहीं: आपका सोना अति-सुरक्षित वॉल्ट्स में बीमाकृत (insured) रूप से रखा जाता है। आपको घर में रखने, लॉकर का किराया देने या चोरी-डकैती की चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं।
- पारदर्शिता: सोने की खरीद-बिक्री का भाव (Live Price) आपके ऐप पर दिखता रहता है, जिससे पूरी पारदर्शिता बनी रहती है।
- फिजिकल डिलीवरी का विकल्प: जब चाहें, अपने जमा डिजिटल गोल्ड को असली सोने के सिक्कों या बार में बदलवाकर घर मँगवा सकते हैं (हाँ, अतिरिक्त शुल्क लगेगा, जैसा ऊपर बताया गया है)।
- कर्ज की सुविधा: कुछ प्लेटफॉर्म आपके जमा डिजिटल गोल्ड पर आसानी से कर्ज (Loan against Digital Gold) भी उपलब्ध कराते हैं, जो जरूरत के समय काम आ सकता है।
डिजिटल गोल्ड की कुछ कमियाँ या नुकसान (Cons):
- GST का अतिरिक्त बोझ: खरीदते समय ही सोने के मूल्य पर 3% GST देना होता है, जिससे आपकी शुरुआती लागत थोड़ी बढ़ जाती है।
- फिजिकल डिलीवरी पड़ती है महंगी: अगर आप अपने डिजिटल गोल्ड को असली सोने में बदलना चाहते हैं, तो मेकिंग चार्ज और डिलीवरी चार्ज मिलाकर यह काफी महंगा सौदा हो सकता है, खासकर छोटी मात्रा के लिए।
- कोई नियमित आय नहीं (डिविडेंड या ब्याज नहीं): सोने के निवेश से आपको कोई नियमित ब्याज या डिविडेंड नहीं मिलता, जैसे कि फिक्स्ड डिपाजिट या कुछ शेयर्स में मिलता है। मुनाफा सिर्फ तभी होता है जब सोने का भाव बढ़े और आप उसे बेचें। (इसके विपरीत, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs) में सालाना ब्याज मिलता है)।
- नियामक ढाँचे का अभाव (पहले था, अब सुधार): पहले डिजिटल गोल्ड के लिए कोई समर्पित रेगुलेटर नहीं था, लेकिन अब SEBI ने गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) के माध्यम से और अन्य रूपों में इसे रेगुलेट करने की दिशा में कदम उठाए हैं। फिर भी, जिस प्लेटफॉर्म से आप खरीद रहे हैं, उसकी विश्वसनीयता जांचना बहुत जरूरी है।
- प्लेटफॉर्म से जुड़ा जोखिम: हालांकि आपका सोना कस्टोडियन के पास सुरक्षित होता है, फिर भी जिस ऐप या कंपनी के जरिए आप निवेश कर रहे हैं, अगर वह बंद हो जाए या कोई तकनीकी गड़बड़ी हो जाए, तो आपको अपना सोना वापस पाने में थोड़ी परेशानी या देरी हो सकती है। इसलिए हमेशा बड़े और भरोसेमंद प्लेटफॉर्म ही चुनें।
- फिजिकल सोने वाला भावनात्मक जुड़ाव नहीं: कई लोगों के लिए सोना सिर्फ निवेश नहीं, बल्कि एक भावना है, जिसे वे छूकर और देखकर महसूस करना चाहते हैं। डिजिटल गोल्ड में यह पहलू नदारद रहता है।
- LTCG पर इंडेक्सेशन बेनिफिट का न होना: जैसा कि ऊपर बताया गया, टैक्स नियमों में बदलाव के कारण अब सोने पर LTCG में इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलता, जो लंबी अवधि के निवेशकों के लिए इसे थोड़ा कम आकर्षक बना सकता है।
किसके लिए है यह सबसे बेस्ट?
- अल्प से मध्यम अवधि के निवेशक (Short to Medium-Term Investors): जो 1 से 3 साल या नए टैक्स नियमों के अनुसार 2 साल से अधिक के लिए निवेश करके सोने की कीमतों में तेजी का फायदा उठाना चाहते हैं।
- छोटी-छोटी बचत करने वाले (Small Savers): जो हर महीने या नियमित अंतराल पर थोड़ी-थोड़ी रकम सोने में लगाना चाहते हैं (SIP मोड)।
- तकनीक-प्रेमी युवा पीढ़ी (Tech-Savvy Youth): जिन्हें ऑनलाइन लेनदेन और निवेश करना पसंद है और जो फिजिकल सोना सहेजने के झंझट से बचना चाहते हैं।
- पोर्टफोलियो में विविधता लाने वाले (Portfolio Diversifiers): जो अपने कुल निवेश का 5% से 10% हिस्सा सोने में रखना चाहते हैं ताकि जोखिम कम हो सके, और जिन्हें तत्काल तरलता और खरीदने-बेचने की आसानी चाहिए।
किन लोगों को दूसरे विकल्प देखने चाहिए?
- जिन्हें तुरंत या भविष्य में फिजिकल सोने की ही जरूरत है: जैसे शादी-ब्याह के लिए गहने बनवाने हैं या किसी को सोने का सिक्का गिफ्ट करना है। उनके लिए सीधे ज्वैलर से खरीदना या फिजिकल गोल्ड स्कीम बेहतर हो सकती है।
- बहुत लंबी अवधि (10+ साल) के निवेशक जो टैक्स दक्षता को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं: उनके लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs) एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। SGBs में सालाना 2.5% ब्याज मिलता है और अगर मैच्योरिटी (8 साल) तक रखा जाए तो कैपिटल गेन्स पूरी तरह टैक्स-फ्री होता है।
- जो GST और LTCG टैक्स (बिना इंडेक्सेशन के नए नियम के तहत) से पूरी तरह बचना चाहते हैं: उनके लिए भी SGBs (मैच्योरिटी पर) एक बेहतर विकल्प है।
- जो लोग किसी भी तरह का ऑनलाइन या प्लेटफॉर्म रिस्क नहीं लेना चाहते।
निष्कर्ष: सोना तो हमेशा चमकेगा, बस आपका फैसला भी चमकना चाहिए!
डिजिटल गोल्ड निश्चित रूप से सोने में निवेश को आज के दौर के हिसाब से आधुनिक, सरल और सुलभ बनाने का एक शानदार तरीका है। यह खासकर उन लोगों के लिए बहुत अच्छा है जो कम मात्रा में, बिना किसी झंझट के, शुद्ध सोने में निवेश करना चाहते हैं। लेकिन यह कोई जादुई चिराग नहीं है कि रगड़ा और अमीर बन गए!
इसलिए, डिजिटल गोल्ड में निवेश करने से पहले इन 5 बातों को अपने मन में अच्छी तरह बिठा लें:
- प्लेटफॉर्म की विश्वसनीयता और सुरक्षा: जिस भी ऐप या वेबसाइट से खरीद रहे हैं, उसकी प्रतिष्ठा, सरकारी मान्यता (जैसे SEBI रजिस्ट्रेशन या बैंक द्वारा समर्थित होना) और ग्राहक समीक्षाएँ जरूर जाँच लें।
- सभी शुल्कों का पूरा हिसाब: खरीदते समय 3% GST, और अगर फिजिकल डिलीवरी लेनी है तो मेकिंग व डिलीवरी चार्ज, और बेचते समय लगने वाले कैपिटल गेन्स टैक्स (STCG या 12.5% LTCG + सेस, बिना इंडेक्सेशन के) का पूरा गणित समझ लें।
- निवेश की समय-सीमा (Investment Horizon): आप कितने समय के लिए निवेश कर रहे हैं – कम समय के लिए (शॉर्ट टर्म) या लंबे समय के लिए (लॉन्ग टर्म)? यह आपके टैक्स और मुनाफे को प्रभावित करेगा।
- अपनी जरूरत को पहचानें: क्या आपको सिर्फ निवेश करना है या भविष्य में फिजिकल सोना भी चाहिए? आपकी जरूरत के हिसाब से ही उत्पाद चुनें।
- जोखिम उठाने की अपनी क्षमता का आकलन करें: हर निवेश में थोड़ा जोखिम होता है। डिजिटल गोल्ड सोने की कीमतों के उतार-चढ़ाव और प्लेटफॉर्म संबंधी जोखिमों के अधीन है।
एक्सपर्ट टिप (2025 के लिए खास):
डिजिटल गोल्ड को अपने कुल निवेश पोर्टफोलियो का एक छोटा हिस्सा (जैसे 5% से 15%) ही बनाएं, इसे सीधे तौर पर एकमात्र निवेश न समझें। सोने में निवेश के अन्य विकल्पों जैसे गोल्ड ETF (Exchange Traded Funds) और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs) से इसकी तुलना जरूर करें।
- गोल्ड ETF भी डिजिटल गोल्ड की तरह ही हैं, लेकिन ये स्टॉक एक्सचेंज पर खरीदे-बेचे जाते हैं और इन्हें डीमैट अकाउंट में रखा जाता है। इनमें भी तरलता अच्छी होती है।
- SGBs भारत सरकार की ओर से RBI जारी करता है, इसलिए ये सबसे सुरक्षित माने जाते हैं। इनमें सालाना 2.5% ब्याज मिलता है और 8 साल की मैच्योरिटी पर कैपिटल गेन टैक्स-फ्री होता है। हालांकि, इनमें 5 साल का लॉक-इन पीरियड होता है (ट्रेडिंग के लिए)।
आपकी जरूरत, निवेश अवधि और टैक्स बचाने की प्राथमिकता के आधार पर आप इन तीनों (डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ETF, SGBs) में से कोई एक या इनका मिश्रण चुन सकते हैं।
अगर यह विस्तृत जानकारी आपके काम आई हो और आपके मन के कुछ सवालों के जवाब मिले हों, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर जरूर करें! सोने में निवेश के बारे में कोई और सवाल हो तो नीचे कमेंट में बेझिझक पूछ सकते हैं।
आपका भविष्य सोने की तरह ही हमेशा चमकता रहे!
FAQs: डिजिटल गोल्ड से जुड़े 4 जरूरी सवाल – पैसा लगाने से पहले जान लें
डिजिटल गोल्ड कितना सुरक्षित है? कहीं पैसा डूब तो नहीं जाएगा?
हाँ, सुरक्षित है… पर शर्तें लागू!
आपका सोना SEBI-रेगुलेटेड कस्टोडियन (जैसे MMTC-PAMP, Augmont) के वॉल्ट में रखा जाता है।
प्लेटफॉर्म बंद भी हो जाए, तो भी सोना आपके नाम पर सुरक्षित रहेगा।
बस ये गलतियाँ न करें:
अनजान/छोटे ऐप्स पर अकाउंट न बनाएँ।
सिर्फ भरोसेमंद प्लेटफॉर्म चुनें: Paytm Money, Groww, Google Pay, PhonePe, Zerodha Coin।
रीअस्योरेंस: आप कस्टोडियन का सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकते हैं जो साबित करता है कि “आपका सोना वॉल्ट में है”।
Example: अगर आपने ₹10,000 का सोना Groww पर खरीदा, तो MMTC-PAMP आपको ईमेल से कन्फर्मेशन भेजेगा कि “आपके नाम पर X ग्राम सोना रिजर्व है”।
क्या डिजिटल गोल्ड से फिजिकल गोल्ड लेने पर एक्स्ट्रा चार्ज लगता है?
हाँ! और कभी-कभी बहुत ज्यादा:
डिलीवरी चार्ज: ₹100–500 (प्लेटफॉर्म पर निर्भर)।
मेकिंग चार्ज (सबसे बड़ा झटका):
गहने बनवाने पर: 10–15% तक।
सिक्का/बिस्किट बनवाने पर: 3–5%।
GST अलग से: फिजिकल डिलीवरी पर फिर से 3% GST लग सकता है।
कैलकुलेशन:
आपके पास 5 ग्राम डिजिटल गोल्ड (मार्केट प्राइस: ₹35,000)।
फिजिकल लेने पर लागत:
₹35,000 + मेकिंग चार्ज (10% = ₹3,500) + डिलीवरी चार्ज (₹200) = ₹38,700
यानी ₹3,700 एक्स्ट्रा!
सलाह: सिर्फ निवेश के लिए खरीदें। गहने लेने हों तो ज्वेलरी शॉप जाएँ।
क्या डिजिटल गोल्ड पर कोई सालाना रिटर्न या ब्याज मिलता है?
बिल्कुल नहीं!
डिजिटल गोल्ड नॉन-प्रॉडक्टिव एसेट है:
न डिविडेंड मिलता है, न ब्याज।
मुनाफा सिर्फ गोल्ड प्राइस बढ़ने पर होगा।
तुलना के लिए:
इन्वेस्टमेंट रिटर्न का प्रकार डिजिटल गोल्ड सिर्फ प्राइस अप्पीसिएशन सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) प्राइस गेन + सालाना 2.5% ब्याज गोल्ड ETF सिर्फ प्राइस अप्पीसिएशन (कम एक्सपेंस रेश्यो)
स्मार्ट टिप:
अगर लॉन्ग टर्म (5+ साल) निवेश करना है, तो SGB बेहतर है क्योंकि उसमें ब्याज मिलता है और टैक्स भी सेव होता है!
क्या डिजिटल गोल्ड पर TDS कटता है?
नहीं! बेचने पर प्लेटफॉर्म TDS नहीं काटता।
लेकिन… आपको खुद इनकम टैक्स रिटर्न में कैपिटल गेन्स डिक्लेयर करना होगा। नहीं तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट नोटिस भेज सकता है!